बेटे की जिंदगी बचाने के लिए एक पिता की जिद और जुनून में इंदौर भी हो गया शामिल

 साढ़े चार साल के बेटे की जिंदगी बचाने के लिए दिन-रात पैसे जुटाने में लगे जुनूनी पिता के बेहद कठिन अभियान में दरियादिल इंदौर भी शामिल हो गया है। पिता के दर्द और जिद को यहां के कुछ संवेदनशील युवाओं ने समझा। जब उन्हें पता चला कि 15 हजार रुपए महीना कमाने वाला पिज्जा डिलिवरी बॉय पिता बच्चे की गंभीर दिल की बीमारी के लिए सवा दो करोड़ रुपए इकट्ठा करने के लिए जुटा है तो वे भी उसकी मदद के लिए तैयार हो गए। इंदौर की इमोशनल फूल सोसायटी (एनजीओ) ने साढ़े चार साल वर्षीय प्रियांशु की मदद का जिम्मा उठाया है। युवाओं की ये संस्था बच्चे को नया जीवन देने के लिए आगे आई है। दरअसल, मूल रूप से भोपाल के रहने वाले 30 वर्षीय सागर मेश्राम का बेटा प्रियांशु दिल की गंभीर बीमारी 'डबल आउटलेट राइट वेंट्रीकल विद लार्ज मस्क्यूलर वेंट्रीक्यूलर सेप्टल डिफेक्ट' से पीड़ित है। इसमें दिल में बड़ा छेद होता है, जिससे रक्त दिल की जगह सीधे फेफड़ों में बेहद तेजी से जाता है।


बच्चे के चार महीने के होने पर उन्हें इस बीमारी का पता चला था, तब से उसकी जिंदगी बचाने के लिए पिता का संघर्ष जारी है। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई सहित भारत के बड़े शहरों का कोई अस्पताल नहीं बचा, जहां सागर अपने बच्चे को लेकर नहीं गया हो, लेकिन बड़े से बड़े सर्जन ने भी ऑपरेशन के लिए मना कर दिया। भोपाल का घर भी बिक गया। बच्चे को कुछ परेशानी होने पर वह मुंबई के लीलावती अस्पताल में उसका इलाज करवाता है। मुंबई काफी महंगा होने के कारण पुणे में पत्नी व बच्चे को लेकर रहता है। यहां 18 घंटे काम कर बेटे के इलाज के लिए पैसा इकठ्ठा कर रहा है।









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Updated: | Sat, 02 Nov 2019 01:13 PM (IST)


बेटे की जिंदगी बचाने के लिए एक पिता की जिद और जुनून में इंदौर भी हो गया शामिल
प्रियांशु दिल की गंभीर बीमारी 'डबल आउटलेट राइट वेंट्रीकल विद लार्ज मस्क्यूलर वेंट्रीक्यूलर सेप्टल डिफेक्ट' से पीड़ित है।



 




इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। साढ़े चार साल के बेटे की जिंदगी बचाने के लिए दिन-रात पैसे जुटाने में लगे जुनूनी पिता के बेहद कठिन अभियान में दरियादिल इंदौर भी शामिल हो गया है। पिता के दर्द और जिद को यहां के कुछ संवेदनशील युवाओं ने समझा। जब उन्हें पता चला कि 15 हजार रुपए महीना कमाने वाला पिज्जा डिलिवरी बॉय पिता बच्चे की गंभीर दिल की बीमारी के लिए सवा दो करोड़ रुपए इकट्ठा करने के लिए जुटा है तो वे भी उसकी मदद के लिए तैयार हो गए। इंदौर की इमोशनल फूल सोसायटी (एनजीओ) ने साढ़े चार साल वर्षीय प्रियांशु की मदद का जिम्मा उठाया है। युवाओं की ये संस्था बच्चे को नया जीवन देने के लिए आगे आई है। दरअसल, मूल रूप से भोपाल के रहने वाले 30 वर्षीय सागर मेश्राम का बेटा प्रियांशु दिल की गंभीर बीमारी 'डबल आउटलेट राइट वेंट्रीकल विद लार्ज मस्क्यूलर वेंट्रीक्यूलर सेप्टल डिफेक्ट' से पीड़ित है। इसमें दिल में बड़ा छेद होता है, जिससे रक्त दिल की जगह सीधे फेफड़ों में बेहद तेजी से जाता है।


बच्चे के चार महीने के होने पर उन्हें इस बीमारी का पता चला था, तब से उसकी जिंदगी बचाने के लिए पिता का संघर्ष जारी है। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई सहित भारत के बड़े शहरों का कोई अस्पताल नहीं बचा, जहां सागर अपने बच्चे को लेकर नहीं गया हो, लेकिन बड़े से बड़े सर्जन ने भी ऑपरेशन के लिए मना कर दिया। भोपाल का घर भी बिक गया। बच्चे को कुछ परेशानी होने पर वह मुंबई के लीलावती अस्पताल में उसका इलाज करवाता है। मुंबई काफी महंगा होने के कारण पुणे में पत्नी व बच्चे को लेकर रहता है। यहां 18 घंटे काम कर बेटे के इलाज के लिए पैसा इकठ्ठा कर रहा है।


आठवीं तक शिक्षित पिता सागर को जब सभी बड़े सर्जन ने ऑपरेशन के लिए मना कर दिया तो इंटरनेट पर इस बीमारी का इलाज सर्च किया। इसमें अमेरिका के बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल का वीडियो देखा। वहां टूटी-फूटी अंग्रेजी में ई-मेल किया। वह तब तक मेल करता रहा, जब तक कि वहां से जवाब नहीं आ गया। पहले वहां इलाज का खर्च 50 लाख बताया गया था, अब वह बढ़ते हुए सवा दो करोड़ रुपए तक पहुंच गया। वह जगह-जगह बेटे के इलाज के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए कैंपेन चलाता है। हर जगह पोस्टर लगाता है। फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर वीडियो पोस्ट करता है। अब तक फेसबुक व अन्य माध्यम से वह करीब 93 लाख रुपए इकट्ठा कर चुका है। अभिनेता, खिलाड़ी सहित कई नामी लोग बच्चे की मदद के लिए ट्वीट कर रहे हैं।


पिता की जिद-जुनून ने हमें मजबूर कर दिया


इमोशनल फूल सोसायटी के शशिकांत लसार, रूपेश यादव, अंजलि सिंह आदि कहते हैं कि हम बच्चे के पिता से लगातार संपर्क में हैं। पिता की जिद, जुनून और प्यार ने हमें कुछ करने के लिए मजबूर कर दिया। दिवाली से संस्था के माध्यम से सोशल साइट्स पर मदद जुटानी शुरू कर दी है। अब तक 10 हजार रुपए इकट्ठा हो सके हैं। अब बड़े उद्योगपतियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत मिलकर मदद जुटाएंगे।